क्या है बादलों का फटना जानिए इसकी प्रक्रिया हिंदी में

आपके मन में यह सवाल जरूर उठता होगा कि बादल का फटना आखिर क्या होता है? ये बादल जो बारिश लाकर धरती के जल चक्र को बनाए रखते हैं, ये फट कर तबाही कैसे मचाते हैं? क्या है बादलों का फटना जानिए इसकी प्रक्रिया हिंदी में

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क्या है बादलों का फटना जानिए इसकी प्रक्रिया हिंदी में

आप जानते ही होंगे कि बारिश कैसे होती है। सूर्य की गर्मी के कारण झीलें, तालाबों, नदियों और समुंद्र का पानी एवापोरेट यानी वाष्पित होता रहता है। पानी के यह छोटे-छोटे वाष्पकन हवा के साथ धरती से करीब 15 किलोमीटर की ऊंचाई पर आसमान में इकट्ठे होकर बादल का रूप ले लेते हैं।

ये बादल पॉजिटिव और नेगेटिव चार्ज वाले होते हैं। जब यह आपस में टकराते हैं। तो इन में बिजली चमकती है और रुका हुआ पानी बारिश की बूंदों के रूप में धरती पर गिरता है। जब बादलों से यह पानी बुंद बुंद न गिर कर, एक साथ बहुत तेजी से धरती पर आ गिरता है। तो उसे बादल फटना या क्लाउडबर्स्ट कहते हैं।

आप प्रैक्टिकली इस तरह भी समझ सकते हैं। एक बाल्टी के बेस में छोटे-छोटे कई छेद है। उसमें पानी भरने पर आप देखेंगे कि पानी बरसात की बूंदों की तरह धीरे-धीरे नीचे गिरेगा। और अगर इसके बेस को ही तोड़ दिया जाए, तो क्या होगा। सारा का सारा पानी एक साथ पूरे स्पीड के साथ नीचे आ जाएगा।

बादल फटने के प्रमुख कारण

वैज्ञानिकों ने बादल के फटने के दो कारण बताएं हैं। एक ही चार्ज (पॉजिटिव या नेगेटिव) के बादल जब आसमान में ऐसी जगह इकट्ठे होते हैं। जहां गर्म और ठंडी हवाएं दोनों तरफ से उन पर दबाव डालती है। तभी कोई गर्म हवा का झोका नमी से भरे उन बादलों से टकराता हैं। तो ये बदल फट जाते है। ऐसे में कई लाख लीटर पानी धरती के छोटे से एरिया पर एकसाथ गिरता है। उसकी रफ्तार 36 किलोमीटर प्रति घंटा तक हो सकती है।

कुछ मिनटों में ही दो सेंटीमीटर से अधिक वर्षा हो जाती है। ऐसा अक्सर पहाड़ी और नदी वाले इलाकों में ज्यादा होता है। क्योंकि वहां अक्सर गर्म और ठंडी हवाएं दोनों चलती हैं और वहां से गुजरने वाले बादल इनकी चपेट में आ जाते हैं। मौसम वैज्ञानिक मानते हैं कि हमारे देश में मानसून के दौरान बादल बंगाल की ओर अरब सागर से उत्तर दिशा की ओर बढ़ते हैं।

हिमालय पर्वत उनके रास्ते में बाधा डालता हैं। हिमालय से टकरा कर भी बादल फट जाते है और 75 मिलीमीटर प्रति घंटे से अधिक की रफ्तार से मूसलाधार बारिश करते हैं। यही कारण है कि हिमालय क्षेत्र में बादल फटने की घटनाएं ज्यादा होती है।

हवा के दबाव का असर

बादलों पर हवा का दबाव बनता है। ये बादल आसमान में मौजूद हवाओं के ज्यादा दबाव और रास्ते में आनेवाली बाधाओं के टकराने से एकाएक फट जाते हैं। और धरती पर ढेर सारा पानी एक साथ उझेल देते हैं। ऐसा लगता है कि कुछ ही देर में आसमान से पूरी की पूरी नदी उतर आती है। ऐसे में फ्लैशफ्लड भी आ जाता है। जो रास्ते में आनेवाली चीजों को नुकसान पहुंचाता है।

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विश्व का प्रमुख घटनाएं

स्थानDate
लेह, जम्मू और कश्मीर भारत6 अगस्त 2010
बरोत, हिमाचल प्रदेश भारत26 नवंबर 1970
पोर्ट बेल्स, पनामा।29 नवंबर 1911
प्लंबर पॉइंट, जमैका।12 मई 1916
रोमानिया7 जुलाई 1947
गिनी, वर्जिनिया USA24 अगस्त 1906
केदारनाथ, उत्तराखंड भारत16 जून 2013

निष्कर्ष

मुझे उम्मीद है कि ये पोस्ट आपके जानकारी के लिए बहुत हेल्पफुल रहा होगा। क्योंकि आज आप ने बदल कैसे फटता है उसके के बारे में आपको, मैं मानता हूं की सही जानकारी प्राप्त हुआ है। तो आप एक बार जरूर बताने की कोशिश करे की ये लेख आप के लिए कितन जरूरी मंद रहा है। अगर इसमें कुछ कमी रह गया हो तो प्लीज कॉमेंट कर के जरूर बताएं और जितना हो सके इस आर्टिकल को ज्यादा से ज्यादा अपने दोस्तो को शेयर करे। अंत में सोशल मीडिया पर शेयर करना ना भूलें। धन्यवाद

Manish Kumar
Manish Kumar

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